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Page Experience क्या है कैसे सही करे

आज के डिजिटल युग में, जब हम किसी वेबसाइट को खोलते हैं, तो न केवल उसकी जानकारी बल्कि उपयोगकर्ता अनुभव (User Experience) भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। यही वजह है कि गूगल ने “Page Experience” को एक महत्वपूर्ण रैंकिंग सिग्नल के रूप में पेश किया है। पेज एक्सपीरियंस (Page Experience) को समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि यह केवल वेबसाइट की तकनीकी या कंटेंट गुणवत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र अनुभव है जो उपयोगकर्ता को वेबसाइट पर मिलती है। इसमें साइट की लोडिंग स्पीड, मोबाइल फ्रेंडली डिज़ाइन, सुरक्षित ब्राउज़िंग, और अधिक शामिल है।

Page Experience क्या है?

Page Experience वह अनुभव है जो एक यूज़र को किसी वेबसाइट पर पहुंचने पर होता है। यह पूरी तरह से यूज़र की संतुष्टि पर आधारित है, जो विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि साइट की लोडिंग स्पीड, मोबाइल उपयोगकर्ता अनुभव, वेबसाइट पर विज्ञापन की स्थिति, और सुरक्षित कनेक्शन। गूगल ने इसे एक महत्वपूर्ण रैंकिंग फैक्टर के रूप में 2021 में घोषित किया था। गूगल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब कोई यूज़र किसी वेबसाइट पर जाए, तो उसे सकारात्मक और तेज़ अनुभव मिले।

Page Experience के मुख्य घटक:

  1. लोडिंग स्पीड (Loading Speed): वेबसाइट की लोडिंग स्पीड उपयोगकर्ता अनुभव के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि कोई साइट धीमी गति से लोड होती है, तो यूज़र को निराशा हो सकती है और वह साइट को छोड़ सकता है। गूगल ने “Largest Contentful Paint” (LCP) को प्रमुख रैंकिंग सिग्नल के रूप में मान्यता दी है। यह बताता है कि किसी पेज का प्रमुख कंटेंट लोड होने में कितना समय लगता है।
  2. इंटरेक्टिविटी (Interactivity): इंटरेक्टिविटी, विशेष रूप से “First Input Delay” (FID) द्वारा मापी जाती है, यह उस समय को मापती है जब यूज़र पेज पर पहला इंटरएक्शन करता है और जब वह इंटरएक्शन प्रतिक्रिया प्राप्त करता है। यदि किसी पेज पर प्रतिक्रिया में देरी होती है, तो यह एक नकारात्मक उपयोगकर्ता अनुभव पैदा करता है।
  3. वीज़ुअल स्टेबिलिटी (Visual Stability): जब हम किसी पेज पर जाते हैं, तो यदि पेज के एलिमेंट्स (जैसे इमेजेज़, टेक्स्ट) बिना किसी चेतावनी के अचानक बदलते हैं, तो यह उपयोगकर्ता के लिए अव्यवस्थित हो सकता है। इसे “Cumulative Layout Shift” (CLS) के रूप में मापा जाता है। CLS का कम होना पेज की बेहतर स्थिरता का संकेत देता है।
  4. मोबाइल फ्रेंडली डिज़ाइन (Mobile-Friendliness): आजकल अधिकांश लोग मोबाइल डिवाइस से इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं। अगर आपकी वेबसाइट मोबाइल पर ठीक से काम नहीं करती है, तो यूज़र का अनुभव खराब हो सकता है। गूगल मोबाइल-फ्रेंडली वेबसाइट को प्राथमिकता देता है। इसका मतलब है कि वेबसाइट का डिज़ाइन और लेआउट मोबाइल पर अच्छा और उपयुक्त होना चाहिए।
  5. सुरक्षित ब्राउज़िंग (Safe Browsing): गूगल ने सुरक्षित ब्राउज़िंग को भी पेज एक्सपीरियंस के एक हिस्से के रूप में शामिल किया है। इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट पर कोई मालवेयर, वायरस, या अन्य सुरक्षा जोखिम नहीं होने चाहिए। यदि वेबसाइट पर कोई सुरक्षा समस्या होती है, तो गूगल उसे पेज एक्सपीरियंस के रूप में नकारात्मक रूप से देखेगा और वेबसाइट की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है।
  6. विज्ञापनों का अनुभव (Ad Experience): अगर किसी वेबसाइट पर विज्ञापन बहुत ज़्यादा और व्यवधान उत्पन्न करने वाले हैं, तो यह उपयोगकर्ता के अनुभव को खराब कर सकता है। गूगल यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विज्ञापन उपयोगकर्ता को परेशान न करें और वेबसाइट का प्रमुख कंटेंट आसान तरीके से देखने को मिले।

Page Experience के प्रभाव:

  1. रैंकिंग में सुधार: गूगल का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव देना है, और यह पेज एक्सपीरियंस को रैंकिंग सिग्नल के रूप में शामिल करने के माध्यम से यह सुनिश्चित करता है। एक अच्छी पेज एक्सपीरियंस वेबसाइट की रैंकिंग को बेहतर कर सकती है। साइट का लोडिंग समय, मोबाइल फ्रेंडलीनेस और अन्य तकनीकी पहलू इसके प्रभावी होने में मदद करते हैं।
  2. उपयोगकर्ता संतुष्टि: पेज एक्सपीरियंस पर ध्यान देने से वेबसाइट की उपयोगकर्ता संतुष्टि बढ़ सकती है। यदि उपयोगकर्ता को वेबसाइट पर तेज़ लोडिंग, अच्छे डिज़ाइन और सुरक्षित ब्राउज़िंग का अनुभव मिलता है, तो वे वेबसाइट पर ज्यादा समय बिताएंगे और बार-बार वापस आएंगे।
  3. कन्वर्ज़न रेट्स: एक अच्छी पेज एक्सपीरियंस वेबसाइट के उपयोगकर्ताओं के लिए कन्वर्ज़न रेट्स को भी बढ़ा सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी ई-कॉमर्स वेबसाइट तेज़ी से लोड होती है और मोबाइल फ्रेंडली है, तो ग्राहक अधिक आसानी से खरीदारी कर सकते हैं।

Page Experience को बेहतर कैसे बनाएं?

  1. वेबसाइट स्पीड को बढ़ाएं: वेबसाइट की लोडिंग स्पीड को बेहतर बनाने के लिए आप इमेजेज़ को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं, सीडीएन (Content Delivery Network) का उपयोग कर सकते हैं, और जावास्क्रिप्ट और CSS को मिनिफाई कर सकते हैं।
  2. मोबाइल-फ्रेंडली डिज़ाइन अपनाएं: अपने वेबसाइट डिज़ाइन को रेस्पॉन्सिव बनाएं ताकि यह विभिन्न स्क्रीन साइज पर अच्छा दिखे। मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित करें।
  3. सुरक्षा का ध्यान रखें: HTTPS प्रोटोकॉल का उपयोग करें ताकि वेबसाइट सुरक्षित रहे। इससे न केवल उपयोगकर्ता का अनुभव बेहतर होगा बल्कि यह गूगल के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
  4. विज्ञापन संतुलन बनाए रखें: वेबसाइट पर विज्ञापनों को इस तरह से रखें कि वे उपयोगकर्ता अनुभव में बाधा उत्पन्न न करें। ज़्यादा विज्ञापन न डालें और इंटरस्टिशियल विज्ञापनों से बचें।
  5. कोर वेब विटल्स पर ध्यान दें: गूगल ने कोर वेब विटल्स (Core Web Vitals) को पेज एक्सपीरियंस का मुख्य हिस्सा बना दिया है। इनका ध्यान रखें और सुनिश्चित करें कि आपका पेज LCP, FID, और CLS के मानक को पूरा करता हो।

निष्कर्ष

Page Experience अब केवल वेबसाइट के डिज़ाइन या सामग्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र दृष्टिकोण है जो उपयोगकर्ता के अनुभव को प्रभावित करता है। गूगल द्वारा इसे एक रैंकिंग सिग्नल बनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे वेबसाइटें रैंक करें जो यूज़र्स के लिए उपयोगी और अच्छा अनुभव प्रदान करती हैं। वेबसाइट मालिकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे पेज एक्सपीरियंस के सभी पहलुओं पर ध्यान दें, ताकि उनकी वेबसाइट उपयोगकर्ताओं को बेहतर सेवा और अनुभव प्रदान कर सके।

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम मनोज कुमार है और आपका हमारे ब्लॉग manojkideas.com पर स्वागत है मुझे Blogging में 4 सालो का अनुभव, इंटरनेट की अच्छी जानकारी है इस ब्लॉग पर हमने Blogging, Apps Review, Banking, Full Form Meaning, Mobile Recharge और Technology की सबसे ज्यादा जानकारी शेयर करते है जोकि यह मेरे प्रयोग किये गये तरीके होते है जो मैं सीखता हूँ वही 100% रियल सिखाता हूँ।

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